
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: कैसे बदल रही है राजनीति की रणनीति – डिजिटल और ज़मीनी अभियान की पूरी तस्वीर
बिहार की राजनीति हमेशा से देश में एक विशेष स्थान रखती है। बिहार शुरुआत से ही सामाजिक व जातीय समीकरण और क्षेत्रीय पार्टियों का गढ़ रहा है, जहां क्षेत्रीय पार्टिया बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी भूमिका अदा करती आई है। अब तक बिहार की राजनीति समाज, जाति और परंपरागत चुनाव प्रचार पर निर्भर रही है। लेकिन अब बिहार में चुनाव प्रचार की तस्वीर बदल रही है।
अब बड़ी पार्टियां और नेता चुनाव प्रचार के लिए डिजिटल तकनीक की मदद ले रहे हैं। वे प्रोफेशनल्स और बड़ी एजेंसीज हायर कर रहे हैं ताकि डिजिटल चुनाव प्रचार के माध्यम से कम समय में ज्यादा वोटर्स तक अपनी पहुंच बढ़ा सके। ऐसे में 2025 का विधानसभा चुनाव परंपरागत सोच से हटकर तकनीकी, डेटा, सर्वे, डिजिटल कैंपेन, सोशल मीडिया, लाइव, सर्वे आदि पर केन्द्रित हो गया है।
आज के समय में वोटर्स केवल वादों से नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर आपकी उपस्थिति, नीतियों और कामों का सोशल मीडिया पर प्रचार, ज़मीनी पकड़ से प्रभावित होता है। जनता के पास इतना समय नहीं होता है कि वे रैलियों और सभाओं में आकर भाषण सुने, ऐसे में सोशल मीडिया पर आपकी उन तक पहुंच ही, वोटर्स को आपसे जोड़ती है। खासकर युवा मतदाता, जो अब सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के जरिए हर खबर पर नज़र रखता है, वह चुनावों में एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है। इस आर्टिकल में हम इसी को लेकर विस्तार से चर्चा करेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव में डिजिटल चुनाव प्रकार
राजनीतिक दल और उनके नेता अब अपनी पारंपरिक चुनावी रणनीतियों से आगे बढ़कर टेक्नोलॉजी, डिजिटल मीडिया, इन्टरनेंट, लोकल टैलेंट और डेटा एनालिटिक्स को अपने अभियान का अहम हिस्सा बना रहे हैं।
1. डेटा और डिजिटल स्ट्रेटजी
बड़ी राजनीतिक पार्टियां अब चुनाव में डेटा एनालिटिक्स का भरपूर उपयोग कर रही हैं। जो बातें पहले अनुमान से तय होती थीं, वो अब डेटा से निर्धारित हो रही हैं। यानी हवा हवाई प्लानिंग की जगह डेटा एनालिसिस करके स्ट्रेटजी तैयार की जाती है, जिससे सही प्लान बनाकर काम किया जा सके।
वोटर प्रोफाइलिंग: उम्र, जाति, शिक्षा, लोकेशन और मुद्दों के आधार पर वोटर्स की प्रोफाइलिंग आसान हो जाती है। पहले यह काम करने में परेशानी होती थी और समय भी अधिक लगता था लेकिन अब यह तकनीक के चलते वोटर प्रोफाइलिंग आसान और सटीक हो गई है।
रियल-टाइम एनालिसिस: सोशल मीडिया, सर्वे और फीडबैक के माध्यम से यह समझा जा रहा है कि जनता किन मुद्दों पर क्या सोच रही है। उसी के आधार पर कंटेट तैयार किया जा रहा है। भाषण से लेकर नीतियां तक इसी आधार पर बनने लगी है। इसी का एनालिसिस करके सोशल मीडिया का कंटेट तक तैयार हो रहा है।
माइक्रो टारगेटिंग और जियो-टारगेटिंग: एक ही जिले में अलग-अलग पंचायतों के हिसाब से कस्टम मैसेजिंग हो रही है, ताकि सही वोटर्स तक सही मैसेज पहुंच सके। साथ ही, जहां तक नेता और उनके कार्यकर्ता नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहां इन्टरनेट और डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करके पहुंच बढ़ाई जा रही है।
2. चुनाव में सोशल मीडिया और डिजिटल प्रचार
पार्टियां अब मोबाइल यूजर के लिए विशेष कैंपेन चला रही हैं। बिहार के कस्बों और गांवों में मोबाइल फोन सबसे बड़ा संचार माध्यम है। ऐसे में राजनीतिक दल इसे समझकर अब ऐसे डिजिटल कंटेंट बना रहे हैं जो कम डेटा में चल सके और तेज़ी से वायरल हो।
व्हाट्सऐप ग्रुप्स: हर गांव, बूथ और मोहल्ले के लिए अलग-अलग ग्रुप्स बनाकर जनता से सीधा संवाद किया जा रहा है। ग्रुप्स में अपनी विचारधारा, मुद्दों और नीतियों से जुड़े वीडियोज, क्रिएटिव भेजे जा रहे हैं ताकि ग्रुप्स के सदस्यों को अपने से जोड़ा जा सके।
इन्फ्लुएंसर्स सपोर्ट : डिजिटल चुनाव प्रचार के लिए लोकल यूट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को साथ जोड़ा जा रहा है, जो भोजपुरी या क्षेत्रीय भाषा में कंटेट बनाते हैं। इससे भावनात्मक जुड़ाव आता है और वोटर्स पार्टी और नेता की तरफ आकर्षित होते हैं।
जनता से ऑनलाइन संवाद : लाइव सेशंस और वीडियो टाउनहॉल के जरिए नेता सीधे लोगों से संवाद कर रहे हैं, सवालों का जवाब दे रहे हैं। ऐसे में उनकी पहुंच बढ़ रही है। साथ ही रैलियों और सभाओं का सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण होने से भी पार्टियां अपनी बात आसानी से वोटर्स तक पहुंचा पा रही है।
4. घर-घर सर्वे और हाइपर-लोकल प्रचार
राजनीतिक दल बूथ स्तर पर अनुभवी टीम या प्रोफेशनल्स भेजकर डोर-टू-डोर सर्वे करवा रहे हैं ताकि स्थानीय मुद्दों को अच्छे से समझा जा सके। इसके आधार पर हर क्षेत्र के लिए अलग-अलग चुनावी रणनीति बनाई जा रही है। साथ ही, वही मुद्दे उठाए जा रहे हैं जो जनता से सीधे जुड़े हों।
5. डिजिटल वालंटियर्स का सहयोग
डिजिटल चुनाव प्रचार के लिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं और डिजिटल वालंटियर्स को साथ लाया जा रहा है। पार्टियां अब समझने लगी हैं कि सिर्फ पोस्टर या रैली से चुनाव नहीं जीता जा सकता। इसलिए बूथ स्तर पर प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की टीम बनाई जा रही है। डिजिटल वालंटियर्स तैयार किए जा रहे हैं जो सोशल मीडिया पर निगरानी रखते हैं, पार्टी का प्रचार करते हैं, और जनता की प्रतिक्रिया रिपोर्ट करते हैं और आगे की रणनीति उसी के हिसाब से तय होती है।
6. इमोशनल और लोकल कंटेंट पर ज़ोर
राजनीति अब सिर्फ मुद्दों पर नहीं चल रही। नेता स्थानीय भावनाओं को समझकर अपने भाषण तैयार कर रहे हैं। आजकल कटेंट में भोजपुरी गीत, वीडियो स्किट्स, लोकल मीम्स, और व्यंग्यात्मक क्लिप्स के जरिए भी राजनीति की बात जनता तक पहुंचाई जा रही है।
7. जनता से दोतरफ़ा संवाद को बढ़ावा
कई दल सवाल जवाब से जुड़े अभियान चला रहे हैं। मिस्ड कॉल नंबर, वेबसाइट फॉर्म, या व्हाट्सऐप के जरिए जनता से सुझाव, शिकायतें, और सवाल लिए जा रहे हैं, और उन्हीं सवालों का जवाब नेता खुद वीडियो या पोस्ट के जरिए दे रहे हैं। इससे जनता को लगता है कि उनकी बात सुनी जा रही है, और यही विश्वास चुनावी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
8. सोशल मीडिया पर उपस्थिति
कई दल और नेता अपने सोशल मीडिया अकांउट को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं। उनके फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स अकाउंट बनाकर लोगों से जुड़ रहे हैं ताकि अपनी बात जनता तक आसानी से पहुंचाई जा सके। इसके अलावा फैन फेज, मीडिया मैनेजमेंट पर भी फोकस किया जा रहा है। डिजिटल कैंपेन चलाकर अपनी पार्टी और नेताओं के अकाउंट की रीच को बढ़ाया जा रहा है।
चुनाव में डिजिटल चुनाव प्रचार कैसे करें?
डिजिटल चुनाव प्रचार आज के समय में चुनाव जीतने और वोटर्स तक पहुंचने का एक बहुत असरदार तरीका बन चुका है। इसके ज़रिए उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी इंटरनेट, डिजिटल तकनीक और मोबाइल का इस्तेमाल करके मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाते हैं।
डिजिटल चुनाव प्रचार के लिए सबसे पहले, सोशल मीडिया जैसे Facebook, Instagram, Twitter (X), और YouTube का इस्तेमाल बहुत ज़रूरी है। इन प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट, वीडियो, लाइव भाषण और विज्ञापनों के ज़रिए अपनी बात आसानी से लोगों तक पहुँचाई जा सकती है। युवाओं को जोड़ने के लिए मीम्स और रील्स जैसे ट्रेंडिग तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
इसके अलावा, डिजिटल विज्ञापन जैसे फेसबुक ऐड्स या गूगल ऐड्स चलाकर भी आप सीधे उस इलाके के लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं, जहां आप खुद नहीं जा सकते या फिर नहीं पहुंच पाए हों। साथ ही, WhatsApp और SMS के ज़रिए लोगों से संवाद किया जा सकता है। आज के समय चुनाव प्रचार में WhatsApp और SMS मार्केटिंग भी बहुत प्रभावी है।
इसके अलावा, आजकल लाइव वीडियो और वर्चुअल रैलियों का भी चलन बहुत बढ़ा है, जिनके ज़रिए लोग घर बैठे ही उम्मीदवार से आसानी से जुड़ सकते हैं। साथ ही, लोकल सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स या यूट्यूब चैनल्स की मदद से भी प्रचार को बढ़ावा दिया जाता है। इतना ही नहीं, जो भी प्रचार किया जा रहा है उसका डेटा एनालिसिस करके ये देखा जा सकता है कि कौनसी बातें लोगों को ज़्यादा पसंद आ रही हैं, उसी के आधार पर आगे की रूपरेखा तय की जाती है।
डिजिटल चुनाव प्रचार के लिए सबसे जरूरी बात जो है, वह यह है कि आपके पास इसके लिए टीम, प्रोफेशनल्स और कोई अनुभवी एजेंसी जरूर हो। अगर आप स्वयं के स्तर पर डिजिटल चुनाव प्रचार करने जाएंगे तो उतनी कुशलता से नहीं कर पाएंगे जितनी किसी एजेंसी के प्रोफेशनल्स करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लिए आपको तकनीक का इस्तेमाल, डिजिटल स्ट्रेटजी, टूल्स आदि के बारे में बता होना चाहिए। साथ ही टीम भी ऐसी हो जिसे आज के समय की तकनीक, एआई जैसी समझ हो ताकि डिजिटल चुनाव प्रचार बेहतर तरीके से किया जा सके।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 तकनीक, डेटा, और डिजिटल चुनाव प्रचार का चुनाव बनता जा रहा है। जो राजनीतिक दल जनता के असली मुद्दों को डिजिटल और ज़मीनी स्तर पर समझकर, पारदर्शी और रचनात्मक तरीके से जनता तक पहुंचा पाएंगे, वही जनता का भरोसा जीत पाएंगे।
यह चुनाव अब सिर्फ पोस्टर और रैली तक सीमित नहीं है, बल्कि सोशल मीडिया पर आपकी पहुंच, WhatsApp मैसेज, रील्स, क्रिएटिव, प्रोफेशनल टीम और अनुभवी एजेंसी, यूट्यूब वीडियो, फीडबैक फॉर्म, और लोकल इन्फ्लुएंसर्स की मदद से भी लड़ा जा रहा है।
आने वाला समय उन्हीं नेताओं और दलों का होगा, जो डिजिटल चुनाव प्रचार का तरीका अपनाएगा और इसके लिए एजेंसीज की मदद लेगा।
Political Edge – आपकी चुनावी रणनीति का साथी
Political Edge देश की सबसे भरोसेमंद, अनुभवी और अग्रणी पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में से एक है, जो सफल चुनाव प्रबंधन के लिए अपनी विशेषज्ञता के साथ political marketing services प्रदान करती है। इसका उद्देश्य पार्टियों या नेताओं को चुनाव में मतदाताओं का विश्वास जीतने और बेहतरीन परिणाम प्राप्त करने में मदद करना है।
Political Edge, इनोवेटिव कैंपेन मैनेजमेंट के एक पावरहाउस की तरह कार्य करते हुए, चुनाव प्रचार के लिए नए और प्रभावी टूल्स प्रदान करती है। यह आपकी ऑनलाइन पहचान को मजबूत बनाने, अधिक लोगों तक पहुँच बढ़ाने, डेटा इनसाइट्स को समझने, टार्गेट मतदाताओं तक अपनी बात पहुँचाने और समाज में सकारात्मक छवि बनाने में सहायता करती है। यह पार्टियों को योजना बनाने से लेकर क्रियान्वयन तक, हर स्तर पर सहयोग प्रदान करती है।
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